MP BOARD: अब कक्षा 10 वीं में बमुश्किल प्राप्त हो सकेंगे शत -प्रतिशत अंक I बोर्ड की नई मूल्यांकन व्यवस्था से प्रभावित होगा कक्षा 10 वीं का परिणाम I त्रैमासिक व् अर्धवार्षिक परीक्षा को गंभीरता से न लेने पर भुगतना होना खामियाजा I विद्यार्थियों , शिक्षकों व् अभिवावकों के लिए जानना आवश्यक I

 MP BOARD: अब कक्षा 10 वीं में बमुश्किल प्राप्त हो सकेंगे शत -प्रतिशत अंक I

बोर्ड की नई मूल्यांकन व्यवस्था से प्रभावित होगा कक्षा 10 वीं का परिणाम I

त्रैमासिक व् अर्धवार्षिक परीक्षा  को गंभीरता से न लेने पर भुगतना होना खामियाजा I

विद्यार्थी , शिक्षक , अभिवावक ध्यान दें I




माध्यमिक शिक्षा मंडल भोपाल, मध्य प्रदेश  (MP BSE) द्वारा सत्र 2022 -23 के लिए कक्षा 10 वीं की मूल्यांकन व्यवस्था में बड़ा बदलाव किया गया है . इस बदलाव के कारण सत्र 2022 -23 में कक्षा 10 वीं का परीक्षा परिणाम बुरी तरह से प्रभावित होना तय है I इसका खामियाजा कक्षा 10 वीं की परीक्षा में शामिल होने वाले लाखों   विद्यार्थियों को उठाना पड़ सकता है . बदलाव की गंभीरता को समझने के लिए पोस्ट को अंत तक जरूर पढ़ें 
आइये सबसे पहले जानते हैं माध्यमिक शिक्षा मंडल bhopal ने सत्र 2022 -23 के लिए कक्षा 10 वीं के  मूल्यांकन व्यवस्था में क्या बदलाव कियें हैं 
  • कक्षा 10 वीं के सभी विषयों के प्रश्न पत्र (सैद्धांन्तिक ) अब 75 अंक के होंगे , गत  वर्षों में 80 अंक के होते रहे हैं
  • प्रायोगिक परीक्षा (विज्ञान ) अब 15 अंक की होगी , पूर्व वषों में 20 अंक की होती रही है . 
  • आंतरिक मूल्यांकन 10 अंक का होगा (5 अंक का त्रैमासिक परीक्षा का व् 5 अंक का अर्द्ध वार्षिक परीक्षा का ) - जबकि गत वर्षों में आंतरिक मूल्यांकन का कोई भी अंक अधिभार (वेटेज )    वार्षिक   परीक्षा के लिए  नहीं था . 
  • विज्ञान विषय को छोड़कर शेष सभी विषयों यथा - हिंदी , अंग्रेजी , संस्कृत , सामाजिक विज्ञान , व् गणित में प्रायोगिक परीक्षा के स्थान पर 15 अंक का प्रोजेक्ट कार्य व् शेष 10 अंक का आंतरिक मूल्यांकन होगा (5 अंक का त्रैमासिक परीक्षा का व् 5 अंक का अर्ध वार्षिक परीक्षा का )

आंतरिक  मूल्यांकन व्यवस्था होने  से परीक्षा परिणाम पर प्रभाव समझें - 

गत वर्षों में कक्षा 10 वीं में त्रैमासिक व् अर्धवार्षिक परीक्षा के माध्यम से आंतरिक  मूल्यांकन तो होता था पर इसके अंकों का वार्षिक परीक्षा पर कोई फर्क नहीं पड़ता था . यहाँ तक कि यदि कोई विद्यार्थी त्रैमासिक या अर्द्ध वार्षिक परीक्षा में सम्मिलित नहीं हो पाता था तब भी तब भी उसके वार्षिक परीक्षा के अंकों पर कोई फर्क नहीं पड़ता था , किन्तु अब ऐसा नहीं है अब कोई विद्यार्थी जाने / अनजाने त्रैमासिक या अर्द्ध वार्षिक परीक्षा में सम्मिलित नहीं हो पाता है तो उसके वार्षिक परीक्षा के अंकों का कम होना तय है . खासकर शासकीय विद्यालयों में पढने वाले विद्यार्थियों को त्रैमासिक या अर्द्ध वार्षिक परीक्षा में अनुपस्थिति   या इन परीक्षावों को ठीक से न लेने  का गंभीर खामियाजा भुगतना ही पडेगा . भले भी वह विद्यार्थी वार्षिक परीक्षा में शत - प्रतिशत अंक प्राप्त करें किन्तु वास्तविक अंक व् परीक्षा परिणाम कम रहेगा . 

चलिए इसे एक -दो उदाहरणों से समझते हैं - 

उदाहरण एक -- एक विद्यार्थी  त्रैमासिक परीक्षा में शामिल होता है और उसे विज्ञान विषय में 75 में से 30 अंक प्राप्त होते हैं , साथ ही प्रायोगिक में 25 में से 20 अंक प्राप्त होते हैं तो उसके आंतरिक मूल्यांकन के अंक इस प्रकार निर्धारित होंगे 
 
सैद्धांन्तिक प्राप्तांक -   30 
प्रायोगिक  प्राप्तांक -    20 
                कुल        - 50 
इन 50 अंकों का 5 प्रतिशत अधिभार --- 50 X 5 / 100 = 2.5 अंक 
इस प्रकार इस विद्यार्थी के त्रैमासिक परीक्षा  के विज्ञान विषय का अंक अधिभार 2.5 अंक  होगा . 

अब बात करते हैं इसी विद्यार्थी के अर्द्ध वार्षिक परीक्षा के अंक अधिभार की - 
उसे विज्ञान विषय में 75 में से 60 अंक प्राप्त होते हैं , साथ ही प्रायोगिक में 25 में से 25 अंक प्राप्त होते हैं तो उसके आंतरिक मूल्यांकन के अंक इस प्रकार निर्धारित होंगे -
सैद्धांन्तिक प्राप्तांक -   60 
प्रायोगिक  प्राप्तांक -    25  
                कुल अंक - 85 
इन 85 अंकों का 5 प्रतिशत अधिभार --- 85 X 5 / 100 = 4.25 अंक 
इस प्रकार इस विद्यार्थी के अर्द्ध वार्षिक परीक्षा  के विज्ञान विषय का अंक अधिभार 4.25 अंक  होगा .
  
इस प्रकार त्रैमासिक परीक्षा व्  अर्द्ध वार्षिक परीक्षा के कुल 10 अंक में से विद्यार्थी को प्राप्त अंक 

2.5 अंक + 4.25 अंक = 6.75 या 7 अंक 
वार्षिक परीक्षा - अब यदि वार्षिक परीक्षा में उसे विज्ञान प्रायोगिक में 15 में से 15 अंक प्राप्त होने पर भी -  15+7 (त्रैमासिक परीक्षा व्  अर्द्ध वार्षिक परीक्षा के कुल 10 अंक में से) = 22 अंक  (25 में से )होंगे  , जबकि पूर्व में इस प्रकार केअच्छे विद्यार्थी को 24 या 25 अंक प्राप्त होते थे . और यदि वार्षिक प्रायोगिक परीक्षा में 15 में से 14 अंक प्राप्त होते हैं तो वास्तविक अंक 25 में 21 ही रहेंगे . 

इसी प्रकार हिंदी , अंग्रेजी ,  संस्कृत ,  गणित , सामाजिक विज्ञान में त्रैमासिक परीक्षा व्  अर्द्ध वार्षिक परीक्षा में विषयों के प्रश्न पत्र (सैद्धांन्तिक ) में कम अंक प्राप्त होते हैं तो वार्षिक परीक्षा में अच्छे अंक आने पर भी कम प्रतिशत  अंकों पर 2 - से 10 तक का प्रभाव पड़ना तय है . 
उदाहरण दो - 
एक विद्यार्थी  त्रैमासिक परीक्षा में शामिल   नहीं हो पाता  है  तो उसके आंतरिक मूल्यांकन के अंक इस प्रकार निर्धारित होंगे - 
सैद्धांन्तिक प्राप्तांक -   0 
प्रायोगिक  प्राप्तांक -   0  
                कुल अंक - 0  

अब बात करते हैं इसी विद्यार्थी के अर्द्ध वार्षिक परीक्षा के अंक अधिभार की - 
उसे विज्ञान विषय में 75 में से 60 अंक प्राप्त होते हैं , साथ ही प्रायोगिक में 25 में से 25 अंक प्राप्त होते हैं तो उसके आंतरिक मूल्यांकन के अंक इस प्रकार निर्धारित होंगे -
सैद्धांन्तिक प्राप्तांक -   60 
प्रायोगिक  प्राप्तांक -    25  
                कुल अंक - 85 
इन 85 अंकों का 5 प्रतिशत अधिभार --- 85 X 5 / 100 = 4.25 अंक 
इस प्रकार इस विद्यार्थी के अर्द्ध वार्षिक परीक्षा  के विज्ञान विषय का अंक अधिभार 4.25 अंक  होगा .
  
इस प्रकार त्रैमासिक परीक्षा व्  अर्द्ध वार्षिक परीक्षा के कुल 10 अंक में से विद्यार्थी को प्राप्त अंक 

0 अंक + 4.25 अंक = 4.25 अंक  
वार्षिक परीक्षा - अब यदि वार्षिक परीक्षा में उसे विज्ञान प्रायोगिक में 15 में से 15 अंक प्राप्त होने पर भी -  15+4.25 (त्रैमासिक परीक्षा व्  अर्द्ध वार्षिक परीक्षा के कुल 10 अंक में से) = 19.25 या 19 अंक  (25 में से )होंगे  , जबकि पूर्व में इस प्रकार केअच्छे विद्यार्थी को 24 या 25 अंक प्राप्त होते थे . इस प्रकार उसे अकेले विज्ञान विषय में केवल 1 परीक्षा में अनुपस्थिति से 5 से 6 अंक यानी 1 प्रतिशत अंकों का नुकसान होगा . सभी 6 विषयों में  त्रैमासिक परीक्षा या   अर्द्ध वार्षिक परीक्षा में 
अनुपस्थिति से 5 - से 6 प्रतिशत का नुक्सान होगा . भले भी वार्षिक परीक्षा में शत -प्रतिशत अंक प्राप्त हों . 
नोट - यदि को विद्यार्थी त्रैमासिक व्  अर्द्ध वार्षिक दोनों ही परीक्षावों में अनुपस्थित रहता है तो उसे वार्षिक परीक्षा में 10 से -12 प्रतिशत अंकों का नुकसान होगा ही . 
त्रैमासिक व्  अर्द्ध वार्षिक में कम अंक आने पर भी 2 से 5 प्रतिशत तक अंकों का नुकसान वार्षिक परीक्षा में होगा . 
क्या करें -  विद्यार्थी  हर  हालत में त्रैमासिक व्  अर्द्ध वार्षिक में उपस्थित रहें , शिक्षक पूर्व से ही न केवल  विद्यार्थियों की उपस्थिति पर ध्यान दे  वरन  पठन - पाठन पर ध्यान दें क्योंकि अक्सर कक्षा 10 वीं के विद्यार्थी केवल वार्षिक परीक्षा को परीक्षा मानकर चलते है शेष त्रैमासिक व्  अर्द्ध वार्षिक परीक्षा को गंभीरता से नहीं लेते हैं यहाँ तक कि अनुपस्थित भी रहतें . अभिवावक भी यदि गंभीर न रहे तो विद्यार्थियों  को   मूल्यांकन व्यवस्था  के इस बदलाव का खामियाजा भुगतना ही होगा . 
 
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नोट - सत्र 2022 -23 हेतु कक्षा 9 वीं से 12 वीं तक के विद्यार्थिओं के लिए सभी विषयों की सभी तरह की शैक्षणिक सामग्री जिसमे ब्रिज course , ब्लू प्रिंट , रेमेडियल सामग्री , प्रश्न बैंक सभी विषयों के अभ्यास प्रश्न पत्र ,  वीडियो  सामग्री आदि   लोक शिक्षण संचालनालय bhopal , एवम माध्यमिक शिक्षा मंडल से जारी सभी निर्देश  इस शैक्षणिक वेबसाईट https://alleboard.blogspot.com पर उपलब्ध रहेगी . विद्यार्थी इस वेबसाईट को नोट करले  अथवा गूगल में alleboard सर्च करके भी इस लिंक पर जा सकते हैं . 
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